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BASTE KAANDHE LATAKAAE BAALAAEN THEEN DOU AAEEN
बस्ते काँधे लटकाए बालाएं दो थी आईं
बड़की थी चहकी छुटकी गुमसुम थी मुंह लटकाई
बोली इक दूजी से अरी लगी उदास तू आती
कह क्या बात छिपी मन कही न क्यों मुझसे बतलाती
सकुचाई कमसिन बोली दीदी मैं आह कहूं क्या
समझ न पाऊँ मैं खुद अपनी हालत तुम्हें कहूं क्या
देख आइना लगता आँखें औचक ज्यूं बढ़ आईं
चढ़ा बदन ज्यूं नशा कुलबुला रात रहूँ मैं आई
लगती दिन दिन उठ उठ फूली छाती छुई फुरकती
गुदगुद नसें चमकतीं साँसें रह रह चढ़ी धड़कतीं
चलते पाँव बहकते मचली जांघें रानें जातीं
रेखाएं भूरी बढ़ छाईं बुर मारी खुजलाती
रह रह बदला तन छाती बुर अंग निहारी जाऊं
मरती सोच आह ऐसा क्यों कह न किसी से पाऊँ
अंग टूट दुखते रह रह मैं रह उदास पड़ जाती
तड़प तड़प बस यूं गुमसुम चुप चुप बस मैं रह आती
हंस झकझोरी सखि बड़की छुटकी को चूमी आई
बोली आह गजब न अरी डर दूं मैं तुझे बधाई
चढ़ा रंग अब असल बदन रह अब तू मौज मनाई
हुई जवां तू किये इशारे काया तेरी आई
आह भरी छुटकी बोली सुन दीदी उफ़ मर जाऊं
क्या कर डालूँ कहो न अब तरसी सुनने मैं आऊं
मुझसे कुछ न बने उफ़ उफ़ अब तुम ही हाय संभालो
बतलाओ उपचार आह क्या दीदी झट कह डालो
सुनी सयानी संगिनि होठ चबाई रह मुसकाई
बोली समझ न बात अरी नादां जो मैं कह आई
रह जानी मैं अरी चढ़ा बिछुआ तेरे तन आये
बड़ा बेरहम धंस नस नस चुटका री काटा जाये
लक्षण तेरे इक इक कहते लगा रोग जोबन री
लंड बैद बुर कस झारे तन उतारे चढ़ा नशा री
कर उपचार बार इक देख रहा तन राहत पाए
रही उदासी भूली फिर तू खिली गदगदा आए
जोबन द्वार बदन चुदने के दिन अब तेरे आए
समझ आह बिन लंड अरी बुर तेरी चैन न पाए
संग मांगती काया गुदगुद बिछ लपटी तन जाने
मरती मिट बुर फड़वाई धर लंड कसी चुद जाने
रोग सुहाना यह क्वारियाँ जिसे तरसी रह आतीं
दिन यह आए मना किये ब्रत पूजा माँगी जातीं
मैं तो रही नहाई संगम तू भी डूब नहा री
उड़ी देख जन्नत भूली फिर गम सब जाए प्यारी
चढ़ा लंड इक बार गदगदा बुर धर करे चुदाई
बाधा हरे सकल तेरी घबरा न अरी रह आई
लट्टू दीवाने कितने पीछे इक जोड़ पकड़ री
लूट बाँध रख लंड कसी चुद गुदगुद खूब रगड़ री
मचली तलमल कमसिन कह यूं उफ़ न कही आओ तुम
आह गजब ऐसा हो कैसे सुन उड़ होश उड़े गुम
बोली उहु हुहु मरी हाय मैं रही समझ मैं दीदी
सुन लुट आई मैं बुर छुटी सुरसुरी बह चल भीगी
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बड़की थी चहकी छुटकी गुमसुम थी मुंह लटकाई
बोली इक दूजी से अरी लगी उदास तू आती
कह क्या बात छिपी मन कही न क्यों मुझसे बतलाती
सकुचाई कमसिन बोली दीदी मैं आह कहूं क्या
समझ न पाऊँ मैं खुद अपनी हालत तुम्हें कहूं क्या
देख आइना लगता आँखें औचक ज्यूं बढ़ आईं
चढ़ा बदन ज्यूं नशा कुलबुला रात रहूँ मैं आई
लगती दिन दिन उठ उठ फूली छाती छुई फुरकती
गुदगुद नसें चमकतीं साँसें रह रह चढ़ी धड़कतीं
चलते पाँव बहकते मचली जांघें रानें जातीं
रेखाएं भूरी बढ़ छाईं बुर मारी खुजलाती
रह रह बदला तन छाती बुर अंग निहारी जाऊं
मरती सोच आह ऐसा क्यों कह न किसी से पाऊँ
अंग टूट दुखते रह रह मैं रह उदास पड़ जाती
तड़प तड़प बस यूं गुमसुम चुप चुप बस मैं रह आती
हंस झकझोरी सखि बड़की छुटकी को चूमी आई
बोली आह गजब न अरी डर दूं मैं तुझे बधाई
चढ़ा रंग अब असल बदन रह अब तू मौज मनाई
हुई जवां तू किये इशारे काया तेरी आई
आह भरी छुटकी बोली सुन दीदी उफ़ मर जाऊं
क्या कर डालूँ कहो न अब तरसी सुनने मैं आऊं
मुझसे कुछ न बने उफ़ उफ़ अब तुम ही हाय संभालो
बतलाओ उपचार आह क्या दीदी झट कह डालो
सुनी सयानी संगिनि होठ चबाई रह मुसकाई
बोली समझ न बात अरी नादां जो मैं कह आई
रह जानी मैं अरी चढ़ा बिछुआ तेरे तन आये
बड़ा बेरहम धंस नस नस चुटका री काटा जाये
लक्षण तेरे इक इक कहते लगा रोग जोबन री
लंड बैद बुर कस झारे तन उतारे चढ़ा नशा री
कर उपचार बार इक देख रहा तन राहत पाए
रही उदासी भूली फिर तू खिली गदगदा आए
जोबन द्वार बदन चुदने के दिन अब तेरे आए
समझ आह बिन लंड अरी बुर तेरी चैन न पाए
संग मांगती काया गुदगुद बिछ लपटी तन जाने
मरती मिट बुर फड़वाई धर लंड कसी चुद जाने
रोग सुहाना यह क्वारियाँ जिसे तरसी रह आतीं
दिन यह आए मना किये ब्रत पूजा माँगी जातीं
मैं तो रही नहाई संगम तू भी डूब नहा री
उड़ी देख जन्नत भूली फिर गम सब जाए प्यारी
चढ़ा लंड इक बार गदगदा बुर धर करे चुदाई
बाधा हरे सकल तेरी घबरा न अरी रह आई
लट्टू दीवाने कितने पीछे इक जोड़ पकड़ री
लूट बाँध रख लंड कसी चुद गुदगुद खूब रगड़ री
मचली तलमल कमसिन कह यूं उफ़ न कही आओ तुम
आह गजब ऐसा हो कैसे सुन उड़ होश उड़े गुम
बोली उहु हुहु मरी हाय मैं रही समझ मैं दीदी
सुन लुट आई मैं बुर छुटी सुरसुरी बह चल भीगी
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