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Lalchaa Ankhen Takee Door Se Doob Niharee Aateen
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ललचा आँखें तकी दूर से डूब निहारी आतीं
(premonmayee saras rati sarita-373)
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ललचा आँखें तकी दूर से डूब निहारी आतीं
हो समीप गुजरीं बेबस बरबस खीचीं लड़ जातीं
दिल की बात गुने मन मचला सदा बावरा आता
बींध तरस रहते इक दूजे कुछ पर कहा न जाता
बमकी हर दिन ऐ क्यों चलते टेढ़े मेढे आते
मैं देखूँ नित फाड़ आँख मुझको हो घूरे जाते
दीखो बड़े शरीफ न पर है शरमा लिहाज़ ज़रा भी
क्यों न संभलकर चलते देखे अपनी राह ज़रा जी
सकुचाया नित बचता पर राहें मिल भिड थी आतीं
धुकधुक दोनों मौन मगर छिप तक आँखें टकरातीं
फिर बढ़ बोली इक दिन समझाए न समझ क्यूं पाते
क्या इलाज आते न बाज क्यूँ नैन लड़ाए जाते
मन अधीर उबला बोला हाँ हाँ हाँ सच अब सुन लो
चैन न बिन देखे तुमको जो करना तुमको कर लो
तुम रूठो क्यों नयन भटकते तुम्हें देखने प्यारी
बरजो यूँ न तके तरसे जब मिलने आई बारी
दिल में बसी धंसी तुम आँखों में छबि तैरी आती
रहूँ न तुम बिन कह दो तड़पाए क्यों मुझे सतातीं
जितना जो चाहे कह जाओ सारी कसर निकालो
छोड़ो आज न मिटूँ जान दे आह मार ही डालो
सुन झुक आई पलकें औचक मुख उदास हो आया
बोली बस बस कहो न कुछ अब आह समझ में आया
रट आए तुम मुझे मंत्र से मै तड़पी रह आई
हाल आज सच जान आह सुन तुमसे मर मिट आई
बोली आह कहो फिर फिर उफ़ मर तुम पर मैं आई
तुम दीवाने सुन तुमको हो दीवानी मैं आई
चलूँ आह मैं तुम पागल वरना न आज बच पाऊँ
पड़े हाय पीछे तुम डरती चुद न यहीं पर जाऊँ
सरे राह यूँ ठीक नहीं दीवाने यूँ बतियाना
सुनूं बात फुरसत से कल है मौक़ा घर पर आना
***
पहुंचे वह तक अंगडाई कस फूली तरबूजों सी
भिड़ टकराईं चुभीं तीर सी जुगल चूचियां भूखीं
धर चूमे कस चुटक चुहक कस बाँधे आया ठेले
उरझ पड़े बिछ रहे झराझर लड़े अधर धर खेले
औचक झंक डूबी आँखों में रही मौन मुसकाई
आज कहूँ इक सच मैं भी जो तुमसे रही छुपाई
जाने क्या जादू तेरी इन आँखों में बस आया
जब जब नैन लड़े तुझसे सच दिल बींधा रह आया
मरी रखूँ मैं दूर तुझे गुस्सा झूठा दिखलाती
आह जतन जितना करती हारी दिल उतना आती
तेरी बात सुने उफ़ रे सच उस दिन मैं पगलाई
तरसी जिसे जुबाँ ज्यूं तेरी रह मुझसे कह आई
डरी कहे उस रोज तड़प तरसी पर कितना जाने
अकुलाई बुर मार मुझे रख आई चुद मिट जाने
हर्फ़ हर्फ़ उस दिन सुन पल पल रह पिघली मै आई
बात न ज्यूं बुर मगन बिछी तुझसे चुदती हो आई
हुआ बावला देख तुझे डरती मै पल्ला झाड़े
भगी सोच फौरन न कहीं सच वहीं पटक धर फाड़े
जान बात दिल उस गुरिया की बढ़ उन्मद मन आया
तन तन फूला खड़ा खंभ सा लंड चढ़ा बुर आया
बोला मैं उफ़ कुछ न कहो तक तुम्हें निहारा आऊं
धंसा मगन बुर फाड़े रह डूबा मैं आऊं
कस काँधे मैंने चपका कस भुज घेरी वह आई
टूटा धीरज चला लड़ बुर चुदी भकाभक आई
उह उह आह गज़ब मारे जा रे मैं तरसी आई
सिसियाई वह उछल खींच धर लंड लीलती खाई
इधर न उधर चढ़ा था ज्वार गज़ब मारे भिड टक्कर
छिला लंड कसता पटके बुर चीखी उधर मगन धर
चपल गदगदा गुदगुद उरझे कस लपटे चल भागे
मची होड़ बुर लंड प्रिया प्रिय रहे कौन बढ़ आगे
लिये लंड बुर झटक झटक धर कस हिचकोले खाती
लहराती कटि डुली उछल पुट्ठे लचकाई आती
बुदबुद बोली उफ़ भूखा तू मैं रह तरस भुखाई
आह मिटा रख फाड़े बुर चुद मैं न रहूँ बच आई
दिल गदगदा मगन उछला उफ़ उफ़ उफ़ आह गज़ब कह
लच लच लच मुंद पलक चुदी बुर खब खब लंड लिये रह
रटी लगन उह ऊह न छोड़ पटक धर और उड़ा रे
और और उफ़ और झटक कस फाड़े चूत झरा रे
मार मार टकराए भिड भिड इक दूजे पर टूटे
लुटा चूत पर लंड चुदी बुर लंड रही धर लूटे
रमी चुदाई की धुन गद्द गदागद उछले आये
उफन उछर छुर छुर्र छलक रस सान उड़े रह आये
हो निढाल फट पसरी बोली वह आह चैन रे आया
आह गज़ब जिद्दी तू हठ कर आखिर बुर ले आया
लंड आह भर सन पसरा बुर हुई तमन्ना पूरी
मैं बोला उफ़ अब न भूलना प्यारी रहे न दूरी
मेल हुआ अब रह झिडकी मुझको न रखे तरसाना
जोड़ गज़ब इक दूजा लंड लिये बुर देती आना
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ललचा आँखें तकी दूर से डूब निहारी आतीं
(premonmayee saras rati sarita-373)
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ललचा आँखें तकी दूर से डूब निहारी आतीं
हो समीप गुजरीं बेबस बरबस खीचीं लड़ जातीं
दिल की बात गुने मन मचला सदा बावरा आता
बींध तरस रहते इक दूजे कुछ पर कहा न जाता
बमकी हर दिन ऐ क्यों चलते टेढ़े मेढे आते
मैं देखूँ नित फाड़ आँख मुझको हो घूरे जाते
दीखो बड़े शरीफ न पर है शरमा लिहाज़ ज़रा भी
क्यों न संभलकर चलते देखे अपनी राह ज़रा जी
सकुचाया नित बचता पर राहें मिल भिड थी आतीं
धुकधुक दोनों मौन मगर छिप तक आँखें टकरातीं
फिर बढ़ बोली इक दिन समझाए न समझ क्यूं पाते
क्या इलाज आते न बाज क्यूँ नैन लड़ाए जाते
मन अधीर उबला बोला हाँ हाँ हाँ सच अब सुन लो
चैन न बिन देखे तुमको जो करना तुमको कर लो
तुम रूठो क्यों नयन भटकते तुम्हें देखने प्यारी
बरजो यूँ न तके तरसे जब मिलने आई बारी
दिल में बसी धंसी तुम आँखों में छबि तैरी आती
रहूँ न तुम बिन कह दो तड़पाए क्यों मुझे सतातीं
जितना जो चाहे कह जाओ सारी कसर निकालो
छोड़ो आज न मिटूँ जान दे आह मार ही डालो
सुन झुक आई पलकें औचक मुख उदास हो आया
बोली बस बस कहो न कुछ अब आह समझ में आया
रट आए तुम मुझे मंत्र से मै तड़पी रह आई
हाल आज सच जान आह सुन तुमसे मर मिट आई
बोली आह कहो फिर फिर उफ़ मर तुम पर मैं आई
तुम दीवाने सुन तुमको हो दीवानी मैं आई
चलूँ आह मैं तुम पागल वरना न आज बच पाऊँ
पड़े हाय पीछे तुम डरती चुद न यहीं पर जाऊँ
सरे राह यूँ ठीक नहीं दीवाने यूँ बतियाना
सुनूं बात फुरसत से कल है मौक़ा घर पर आना
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पहुंचे वह तक अंगडाई कस फूली तरबूजों सी
भिड़ टकराईं चुभीं तीर सी जुगल चूचियां भूखीं
धर चूमे कस चुटक चुहक कस बाँधे आया ठेले
उरझ पड़े बिछ रहे झराझर लड़े अधर धर खेले
औचक झंक डूबी आँखों में रही मौन मुसकाई
आज कहूँ इक सच मैं भी जो तुमसे रही छुपाई
जाने क्या जादू तेरी इन आँखों में बस आया
जब जब नैन लड़े तुझसे सच दिल बींधा रह आया
मरी रखूँ मैं दूर तुझे गुस्सा झूठा दिखलाती
आह जतन जितना करती हारी दिल उतना आती
तेरी बात सुने उफ़ रे सच उस दिन मैं पगलाई
तरसी जिसे जुबाँ ज्यूं तेरी रह मुझसे कह आई
डरी कहे उस रोज तड़प तरसी पर कितना जाने
अकुलाई बुर मार मुझे रख आई चुद मिट जाने
हर्फ़ हर्फ़ उस दिन सुन पल पल रह पिघली मै आई
बात न ज्यूं बुर मगन बिछी तुझसे चुदती हो आई
हुआ बावला देख तुझे डरती मै पल्ला झाड़े
भगी सोच फौरन न कहीं सच वहीं पटक धर फाड़े
जान बात दिल उस गुरिया की बढ़ उन्मद मन आया
तन तन फूला खड़ा खंभ सा लंड चढ़ा बुर आया
बोला मैं उफ़ कुछ न कहो तक तुम्हें निहारा आऊं
धंसा मगन बुर फाड़े रह डूबा मैं आऊं
कस काँधे मैंने चपका कस भुज घेरी वह आई
टूटा धीरज चला लड़ बुर चुदी भकाभक आई
उह उह आह गज़ब मारे जा रे मैं तरसी आई
सिसियाई वह उछल खींच धर लंड लीलती खाई
इधर न उधर चढ़ा था ज्वार गज़ब मारे भिड टक्कर
छिला लंड कसता पटके बुर चीखी उधर मगन धर
चपल गदगदा गुदगुद उरझे कस लपटे चल भागे
मची होड़ बुर लंड प्रिया प्रिय रहे कौन बढ़ आगे
लिये लंड बुर झटक झटक धर कस हिचकोले खाती
लहराती कटि डुली उछल पुट्ठे लचकाई आती
बुदबुद बोली उफ़ भूखा तू मैं रह तरस भुखाई
आह मिटा रख फाड़े बुर चुद मैं न रहूँ बच आई
दिल गदगदा मगन उछला उफ़ उफ़ उफ़ आह गज़ब कह
लच लच लच मुंद पलक चुदी बुर खब खब लंड लिये रह
रटी लगन उह ऊह न छोड़ पटक धर और उड़ा रे
और और उफ़ और झटक कस फाड़े चूत झरा रे
मार मार टकराए भिड भिड इक दूजे पर टूटे
लुटा चूत पर लंड चुदी बुर लंड रही धर लूटे
रमी चुदाई की धुन गद्द गदागद उछले आये
उफन उछर छुर छुर्र छलक रस सान उड़े रह आये
हो निढाल फट पसरी बोली वह आह चैन रे आया
आह गज़ब जिद्दी तू हठ कर आखिर बुर ले आया
लंड आह भर सन पसरा बुर हुई तमन्ना पूरी
मैं बोला उफ़ अब न भूलना प्यारी रहे न दूरी
मेल हुआ अब रह झिडकी मुझको न रखे तरसाना
जोड़ गज़ब इक दूजा लंड लिये बुर देती आना
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