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neem andheraa biyar baar men the sab baithe aaye
नीम अन्धेरा बियर बार में थे सब बैठे आये
(premonmayee saras rati sarita)
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नीम अन्धेरा बियर बार में थे सब बैठे आये
चढा सुरूर मौज में प्यार चुदन रस पर बतियाए
बोला इक फितरत मैं अपनी आह कहूँ क्या आए
गद्दर जबरा चूत पुठाई जितनी मुझको जितनी भाए
छुई मुई सी बुरें न मुझको आतीं रख ललचाए
चुदें न जितनी नखरे कर कर रख आतीं तरसाए
तंदुरुस्त उबली बुर जबरा जोड़ा गज़ब बनाती
नखरे करे न ‘कहो मूड क्या’ आँख लड़ा कह आती
जोश भरे कस बदन लपटती माहिर झपटी लड़ने
ताल ठोकती बुर ललकारे कहे लंड से चढ़ने
मार खब्ब दे लंड खड़ा बुर टकराई लड़ जाती
चलता लंड सटासट बुर कस घप्प निगल धर खाती
इधर न नखरे उधर न नखरे मगन भिड़े टकराए
भिड़ाती जांघें मार चट्ट चट मज़ा चुदन का पाए
चूत जबर की बात निराली रही मौज में आती
इक दूजे का मूड बने लपकी फौरन चुद जाती
कसी भुजाएं पेल दंड बुर लंड लड़े जब आते
मचती होड़ लिये इक दूजे रहे गज़ब सुख पाते
मुस्काए रह कहा एक ने बात अलग है तेरी
मुझको तो भाए वह तरसा आती जो नखरीली
रख उपवासा मुझको जितना वह आती मुसकाती
आह कहूँ क्या बुर प्यारी वह उतनी मुझे रिझाती
उइ ना रे ना अभी नहीं कह जितनी वह शरमाती
भरी लंड में जोश लजीली बुर उतना रह आती
ताकूँ अवसर जितना धीरज उतना नशा चढाता
आग लगाए तन मन बदन लंड उठाता है आता
बुर आखिर बुर इक दिन हत्थे लंड चढ़े आएगी
मिले मज़ा जो नहीं कहीं चुद आखिर दे जाएगी
ठुनक ठुनक बुर लंड मनाता अभी खड़ा रह आए
कम न रखे पिघला चढ़ चोदे फाड चूत रस पाए
प्यार भरे दिल जब हों लंड चुदन रस तब है पाता
बिना प्यार बुर लंड भिडन बस रहा खेल है आता
कड़क कसी बुर मसतानी जो लंड दिये सुख आती
कहाँ चुदन रस कह बुर जबरा वैसा है दे पाती
तेरी फितरत अलग मुझे तो कली सुहानी भाये
कसी लंड जो लिये आह भरती चुद फट रह आए
चुप बैठा इक बोला यारों क्यों सर बैठ खपाना
फितरत जुदा जुदा जिसको जो भाये आए माना
मुझको तो परहेज न जब जैसी मिल जाए ले लूँ
सिमटी फैली चुदी अनचुदी उथली गहरी खेलूँ
लगी प्यास जब हो जो मिले लिये रह प्यास बुझाओ
समझ न आए यह या वह तक धरे लंड क्यूँ आओ
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(premonmayee saras rati sarita)
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नीम अन्धेरा बियर बार में थे सब बैठे आये
चढा सुरूर मौज में प्यार चुदन रस पर बतियाए
बोला इक फितरत मैं अपनी आह कहूँ क्या आए
गद्दर जबरा चूत पुठाई जितनी मुझको जितनी भाए
छुई मुई सी बुरें न मुझको आतीं रख ललचाए
चुदें न जितनी नखरे कर कर रख आतीं तरसाए
तंदुरुस्त उबली बुर जबरा जोड़ा गज़ब बनाती
नखरे करे न ‘कहो मूड क्या’ आँख लड़ा कह आती
जोश भरे कस बदन लपटती माहिर झपटी लड़ने
ताल ठोकती बुर ललकारे कहे लंड से चढ़ने
मार खब्ब दे लंड खड़ा बुर टकराई लड़ जाती
चलता लंड सटासट बुर कस घप्प निगल धर खाती
इधर न नखरे उधर न नखरे मगन भिड़े टकराए
भिड़ाती जांघें मार चट्ट चट मज़ा चुदन का पाए
चूत जबर की बात निराली रही मौज में आती
इक दूजे का मूड बने लपकी फौरन चुद जाती
कसी भुजाएं पेल दंड बुर लंड लड़े जब आते
मचती होड़ लिये इक दूजे रहे गज़ब सुख पाते
मुस्काए रह कहा एक ने बात अलग है तेरी
मुझको तो भाए वह तरसा आती जो नखरीली
रख उपवासा मुझको जितना वह आती मुसकाती
आह कहूँ क्या बुर प्यारी वह उतनी मुझे रिझाती
उइ ना रे ना अभी नहीं कह जितनी वह शरमाती
भरी लंड में जोश लजीली बुर उतना रह आती
ताकूँ अवसर जितना धीरज उतना नशा चढाता
आग लगाए तन मन बदन लंड उठाता है आता
बुर आखिर बुर इक दिन हत्थे लंड चढ़े आएगी
मिले मज़ा जो नहीं कहीं चुद आखिर दे जाएगी
ठुनक ठुनक बुर लंड मनाता अभी खड़ा रह आए
कम न रखे पिघला चढ़ चोदे फाड चूत रस पाए
प्यार भरे दिल जब हों लंड चुदन रस तब है पाता
बिना प्यार बुर लंड भिडन बस रहा खेल है आता
कड़क कसी बुर मसतानी जो लंड दिये सुख आती
कहाँ चुदन रस कह बुर जबरा वैसा है दे पाती
तेरी फितरत अलग मुझे तो कली सुहानी भाये
कसी लंड जो लिये आह भरती चुद फट रह आए
चुप बैठा इक बोला यारों क्यों सर बैठ खपाना
फितरत जुदा जुदा जिसको जो भाये आए माना
मुझको तो परहेज न जब जैसी मिल जाए ले लूँ
सिमटी फैली चुदी अनचुदी उथली गहरी खेलूँ
लगी प्यास जब हो जो मिले लिये रह प्यास बुझाओ
समझ न आए यह या वह तक धरे लंड क्यूँ आओ
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