Content Warning : Do you want to continue?
This poem contains content which some readers may find disturbing.
It is unsuitable for children or anyone who is easily offended.
YES
I am over 18 years old, I have been warned and I still want to read this poem.
I am over 18 years old, I have been warned and I still want to read this poem.
NO
I don't want to read this type of content, take me back to the previous page.
I don't want to read this type of content, take me back to the previous page.
deepundergroundpoetry.com
NIPUN GEND KHELE YAH STIK UTHA UTHA LAHARATA
निपुण गेंद खेले यह स्टिक उठा उठा लहराता
(premonmayee saras rati sarita)
________________________________
निपुण गेंद खेले यह स्टिक उठा उठा लहराता
रह रह ठोके गोल गदागद घुसा पोल में जाता
दोनों गज़ब खिलाड़ी ‘हुतु..तुतु..तू’ कर दौड़े आते
घुस घुस इक दूजे के पाले धर आउट कर जाते
बिछी खूब शतरंज खेल दोनों को रखे लुभाता
वह राजा पर रखे नज़र यह मारे रानी जाता
इसका बल्ला जबर पड़े हिट बाउंड्री टकराती
कम न कैच लेने में माहिर वह लपके धर आती
चतुर खिलाड़ी यह थिरका अंगुरी रख बाल संभाले
छेके वह यह उछल ठोकता भेद नेट को डाले
गुलगुल गोल कसी भारी धर बाल संभाले आता
ठोक भेजता पार उसे यह बालीबाल खिलाता
बीच नेट पर शटल काक दोनों धर मारे आते
भिड बल्ले से बल्ला दोनों मार कसे टकराते
ताल ठोकते गुंथें उरझ हैं मल्ल गजब लड़ आए
दाबे पटक छातियाँ यह वह उठा टांग लपटाए
गज़ब धार वाली गिल्ली वह मारे डंडा जाता
ले यह दाम दिये ठोके वह खांचे तक पहुंचाता
अजब प्यार का खेल रंग इसके हैं बहुत निराले
तके चूत ललचाई लौड़ा कहे ‘आ..न,..चुदवा ले’
दिल बहलाने खेल बहुत पर रह आए सब छलना
परमानंद अनंत खेल बुर में लौड़े का चलना
_________________________________________
(premonmayee saras rati sarita)
________________________________
निपुण गेंद खेले यह स्टिक उठा उठा लहराता
रह रह ठोके गोल गदागद घुसा पोल में जाता
दोनों गज़ब खिलाड़ी ‘हुतु..तुतु..तू’ कर दौड़े आते
घुस घुस इक दूजे के पाले धर आउट कर जाते
बिछी खूब शतरंज खेल दोनों को रखे लुभाता
वह राजा पर रखे नज़र यह मारे रानी जाता
इसका बल्ला जबर पड़े हिट बाउंड्री टकराती
कम न कैच लेने में माहिर वह लपके धर आती
चतुर खिलाड़ी यह थिरका अंगुरी रख बाल संभाले
छेके वह यह उछल ठोकता भेद नेट को डाले
गुलगुल गोल कसी भारी धर बाल संभाले आता
ठोक भेजता पार उसे यह बालीबाल खिलाता
बीच नेट पर शटल काक दोनों धर मारे आते
भिड बल्ले से बल्ला दोनों मार कसे टकराते
ताल ठोकते गुंथें उरझ हैं मल्ल गजब लड़ आए
दाबे पटक छातियाँ यह वह उठा टांग लपटाए
गज़ब धार वाली गिल्ली वह मारे डंडा जाता
ले यह दाम दिये ठोके वह खांचे तक पहुंचाता
अजब प्यार का खेल रंग इसके हैं बहुत निराले
तके चूत ललचाई लौड़ा कहे ‘आ..न,..चुदवा ले’
दिल बहलाने खेल बहुत पर रह आए सब छलना
परमानंद अनंत खेल बुर में लौड़े का चलना
_________________________________________
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
likes 0
reading list entries 0
comments 0
reads 747
Commenting Preference:
The author is looking for friendly feedback.