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kamasin joban lata harit wan tapasi roopa kamini
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(premonmayee saras rati sarita)
कमसिन जोबन लता हरित वन तापसि रूपा कामिनि
अलकें घन जुग कंदुक कोमल झरें फूल अंग दामिनि
क्षीण कटाव गढ़ी कंचन मधुरिम अंग अंग थी छाया
बुर नाज़ुक अनछुई अभेदी लरज सकुचाती काया
हल्का बदन रुई सा कोमल चीनांशुक सी चिकनी
लाली कोंपल अधर तराशी फांकें पतली झीनी
पोर पोर मधु भरी मदिर पलकें झुक झुक आतीं
रूप अनूप मौन चितवनि मदभरी मन हरी जाती
ज्यों अभिज्ञान किये शाकुंतल से नयनों में आई
मन दुष्यंत लुभा घायल कर खींच बस किये आई
छबि नयनों में भरी निहारती साँसें आहें भरतीं
पुण्य सकल फल दिये चाहतें पाने इसको मरतीं
बहती मंद सरित मन मौन भोरी अबोध रह आती
इसे न भान न जाने दिल कितने यह लूटी जाती
रस जोबन न समाये लाली झंक तन उफनी लहके
नत मुख पुष्पित पारिजात की डाली सी यह महके
तल सपाट लाली चिकनी छिप भूरी दूब मुलायम
मूँद पलक बिछ सोई नाजुक कली ओस भीनी नम
मन बावरा रहे तक इकटक टारे तारे न माने
मूरत भोली सुंदरता की मोल न अपना जाने
मरे करें तप लंड न जाने कितने इसको पाने
जाने कौन लुभाए देने बुर प्यारी यह माने
कली अनखिली बंद पांखुरी भरी पराग सुहानी
हो आए वह लंड धन्य बुर यह जिसकी हो रानी
आई बारी आह चूम धर कर कोमल सहलाये
लंड प्यार से खड़ा तके कब ठुनका इसे जगाये
जोड़ गज़ब अनमोल कसी कोमल छूने मन तरसे
मिलन गज़ब हो आह भिड़े संग जब दोनों बरसें
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(premonmayee saras rati sarita)
कमसिन जोबन लता हरित वन तापसि रूपा कामिनि
अलकें घन जुग कंदुक कोमल झरें फूल अंग दामिनि
क्षीण कटाव गढ़ी कंचन मधुरिम अंग अंग थी छाया
बुर नाज़ुक अनछुई अभेदी लरज सकुचाती काया
हल्का बदन रुई सा कोमल चीनांशुक सी चिकनी
लाली कोंपल अधर तराशी फांकें पतली झीनी
पोर पोर मधु भरी मदिर पलकें झुक झुक आतीं
रूप अनूप मौन चितवनि मदभरी मन हरी जाती
ज्यों अभिज्ञान किये शाकुंतल से नयनों में आई
मन दुष्यंत लुभा घायल कर खींच बस किये आई
छबि नयनों में भरी निहारती साँसें आहें भरतीं
पुण्य सकल फल दिये चाहतें पाने इसको मरतीं
बहती मंद सरित मन मौन भोरी अबोध रह आती
इसे न भान न जाने दिल कितने यह लूटी जाती
रस जोबन न समाये लाली झंक तन उफनी लहके
नत मुख पुष्पित पारिजात की डाली सी यह महके
तल सपाट लाली चिकनी छिप भूरी दूब मुलायम
मूँद पलक बिछ सोई नाजुक कली ओस भीनी नम
मन बावरा रहे तक इकटक टारे तारे न माने
मूरत भोली सुंदरता की मोल न अपना जाने
मरे करें तप लंड न जाने कितने इसको पाने
जाने कौन लुभाए देने बुर प्यारी यह माने
कली अनखिली बंद पांखुरी भरी पराग सुहानी
हो आए वह लंड धन्य बुर यह जिसकी हो रानी
आई बारी आह चूम धर कर कोमल सहलाये
लंड प्यार से खड़ा तके कब ठुनका इसे जगाये
जोड़ गज़ब अनमोल कसी कोमल छूने मन तरसे
मिलन गज़ब हो आह भिड़े संग जब दोनों बरसें
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