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किरण
सफलता की लहरों पे चहकने वालो
मायूस क्यूँ हों दिल जब गुमसुम कही हैं।
ये जीवन है दर्पण, हमारा ही प्रतिबिंब
हमे हमसे जुदा कुछ दिखता नही हैं।
कुछ गौर फरमाओ, कुछ होश मे आओ
जानने की सीमा कभी लाँघ कर भी जाओ ।
एक सुनहरी है बस्ती, इक नई है किरण
एक ओस की बूँद मे, है महकती पवन ।
खिलता वहाँ है चेतना का कमल
ना कोई आज है ना कोई कल ।
अश्रुओ की धारा के जलते हैं दिये
उस नगरी की डगर के, ये है लक्ष्ण।
कभी लडखडाते, कभी गीत गाते
रैना बड़ी हैं, अब तू घर से निकल।
कोई (God) देखता हैं बरसों राह तेरी
तेरे लिये किये, जतन पे जतन।
एक है आग का दरिया, इक सुलगता है पानी
गुजर के है जाना बड़ी है परेशानी
ना उम्मीद नही वो (God), होके भी उपवन
तू भी कभी मिट कर, धरा से खिल तो सही।
मायूस क्यूँ हों दिल जब गुमसुम कही हैं।
ये जीवन है दर्पण, हमारा ही प्रतिबिंब
हमे हमसे जुदा कुछ दिखता नही हैं।
कुछ गौर फरमाओ, कुछ होश मे आओ
जानने की सीमा कभी लाँघ कर भी जाओ ।
एक सुनहरी है बस्ती, इक नई है किरण
एक ओस की बूँद मे, है महकती पवन ।
खिलता वहाँ है चेतना का कमल
ना कोई आज है ना कोई कल ।
अश्रुओ की धारा के जलते हैं दिये
उस नगरी की डगर के, ये है लक्ष्ण।
कभी लडखडाते, कभी गीत गाते
रैना बड़ी हैं, अब तू घर से निकल।
कोई (God) देखता हैं बरसों राह तेरी
तेरे लिये किये, जतन पे जतन।
एक है आग का दरिया, इक सुलगता है पानी
गुजर के है जाना बड़ी है परेशानी
ना उम्मीद नही वो (God), होके भी उपवन
तू भी कभी मिट कर, धरा से खिल तो सही।
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