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शमा-परवाना

एक पल को ये लगा कि वो बेहद करीब थे,
दिल के अरमां, होठों की ख़ुशी सब नसीब थे,,
पास आकर ना जाने वो क्यूँ चले गये, सवरती हमारी जिंदगी के वसंत ढल गये,,
दिन के उजालों मे, नदियों के तालों मे हमने उन्हें ही ढूँढा था,
वो थी शमा हमे परवाना होना था,,
वापस जिंदगी की राहें, तय हम कर नही सकते,,
पुकारते है उन्हें, अब आहें भर नही सकते,,
बेबस सी मुर्दा जिंदगी मे अब चंद घंटे है,  
उड़ते थे कभी आसमां पर अब अलविदा करते है........
Written by magichearts
Published | Edited 7th Apr 2024
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