deepundergroundpoetry.com
तरन्नुम
तू नही जानता कि किस होश मे हूँ मैं,
तू नही जानता कि मदहोश-बेहोश हूँ मैं
पी कर शराब्-ए -तरन्नुम,, आज खुदि से खामोश हूँ मैं
छोड आया हूँ बादलों की पंक्तियों सी, झूठी तस्वीर ख्वाबो और मंज़िल की,,
सुलगता रहूँ तेरी इस आबो-हवा मे (रोशनी), सोचकर ये पुरजौश हूँ मैं ,,
एक जलवा तू भी इंतज़ाम कर, जलने की तारीख-जगह-वक़्त फरमान कर,,
सज़ाता जा रहा सेज ये हस्ती मिटाने के लिये, मिलने के लिये तुझसे मुस्तेज हूँ मैं....
तू नही जानता कि मदहोश-बेहोश हूँ मैं
पी कर शराब्-ए -तरन्नुम,, आज खुदि से खामोश हूँ मैं
छोड आया हूँ बादलों की पंक्तियों सी, झूठी तस्वीर ख्वाबो और मंज़िल की,,
सुलगता रहूँ तेरी इस आबो-हवा मे (रोशनी), सोचकर ये पुरजौश हूँ मैं ,,
एक जलवा तू भी इंतज़ाम कर, जलने की तारीख-जगह-वक़्त फरमान कर,,
सज़ाता जा रहा सेज ये हस्ती मिटाने के लिये, मिलने के लिये तुझसे मुस्तेज हूँ मैं....
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
likes 0
reading list entries 0
comments 0
reads 764
Commenting Preference:
The author encourages honest critique.