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yek sapur se ek samund se rah thin donon aaeen
एक सपुर से एक समुंद से रह थीं दोनों आईं
(premonmayee saras rati sarita)
_______________________________________
१
एक सपुर से एक समुंद से रह थीं दोनों आईं
खुल खिल मिली भिड़ीं चुदने रहतीं दोनों अकुलाईं
छिप छिप मौन लड़ी आँखें रखतीं संदेशा भेजे
इधर ‘आह चाहूँ लूँ तुझको’ उधर ‘न क्यों आ लेते’
मर मर आते तीनों मैं चुप वे बैठीं मन मारी
लंड तरसता बुर रिसती कर चुदने की तैयारी
बहलाओ दिल लाख न इस उस विधि से बहला माने
धीरज छूटा राज़ खोल दिल आए चुदने ठाने
तू जा पहले तू जा पहले कह खुसपुस सकुचाई
तके सकुच मैं रहा सकुच आखिर इक पूछी आई
बैठीं दोनों पास पूछती आखिर इक मुस्कायी
कहो आज दोनों में तुमको कौन अधिक है भायी
मूड तुम्हारा भी हम दोनों का भी मचला आया
चुन बतलाओ लेने इक जिसपर पहले दिल आया
बोला भेद न कुछ रह आईं दोनों हरदम प्यारी
पर चुनाव पहले का मुझपर आया संकट भारी
तुम नमकीन चटपटी यह है चिकनी दूध मलाई
कहूँ सलोनी सच पहले री तबियत तुझपर आई
है यह मीठी पर फीकी तू है नमकीन बड़ी री
बुर तू कांटेदार सांवरी आ तुझको मैं लूँ री
यह है चिकनी दूध मलाई तू खारी बुर काली
झपट केश धर खीच कहा चल पर भाई तू साली
लोट लंड काँटों में छिल चल पहले मैं तुझको लूँ
रहा बहुत मन चखूँ तुझे चल फाड़ चूत लौड़ा दूँ
लड़ आँखें इक दूजी मचलीं राग भरी लहराईं
कह दी मन की बात खूब रे कह वह लपटी आई
तक मुखड़ा संगिनि का आँखों ही में रह मुसकायी
बोली उफ़ री करूँ आह क्या इसे पसंद मैं आयी
रुक बस निबटी अभी पास तेरे मैं लौटी आती
चली संग मेरे वह जली छोड़ चिकनी को जाती
मन सहमा दूजी को तक मुख जो आई मुरझाई
आँखें कह आईं बतलाए वह थी रूठी आई
२
वह बैठी तक राह हाथ खीचे दूजी ले भागी
बंद कपाट मचाए धूम आग अन्दर की जागी
रहा न ताब पड़े भिड उरझे पटके टूटे आए
तके राह जाने कब से थे दोनों रहे भुखाए
किये आह वह बिछी मुड़ी टांगें बुर खुलती आई
झुका प्यार में सर चूमे पट जीभ ठुनकती आई
डोली तलमल “ऊ हा आह न जान निकाले जाओ
पकड़ लंड कस खींचे बोली उफ़ न रहूँ अब आओ”
उबले तने अंग अंग जंग छिड़ी जाँघों पर आये
चूत लंड लड़ पड़े ठेलते कौन किसे धर पाये
भेद सुरंग घुसा कस लौड़ा फाड़ चूत को पेले
‘आह आह’ के बीच चरचरा रहा लंक तक ठेले
सच थी कांटेदार गज़ब बुर चुभी गुदगुदा जाती
‘लप्प लप्प’ चुद स्वाद चखे थी फंसा लंड कस आती
चरमर चर भक भक्क भकाभक चट चटाक टकराए
मची धमाल लड़े बुर लंड चौकड़ी भर कुदराए
खड़ा लंड ले शोर गज़ब बुर ‘पुक पुक पुक्क’ मचाती
चुदी मगन सुर ऊंचा चीखे उन्माद सांवरि जाती
कहती “जोड़ गज़ब उफ़ उफ़ उठ खड़ा लंड रख मारे
छोड़ न लूटे जा बुर फाड़े आज उड़ा रख झारे”
लंड हुआ दीवाना सुध बुर चुद रह आई भूली
छिड़ी जंग घनघोर गुंथा यह वह झकझोरे झूली
लड़ लड़ बीर झरा यह वह रज सनी लोटती आई
आर न पार ‘भकाभक घप्प घपाघप’ मची चुदाई
पटके लंड चूमता बुर यह वह कस खींच डुबाती
यह उरझा चीथे कोना हर कस लपेट वह आती
इधर हांफते सुर “मिट जाऊँ आह गज़ब क्या बुर री”
“ऊह मगन बुर चुदी दिये जा लंड गज़ब” वह कहती
सनता लंड इधर पटके बुर आँखें रह रह भटकीं
फिरतीं उधर जहाँ तक जलती दो आँखें थीं अटकीं
चीख चीख यह लंड उड़ाए हक अपना जतलाती
मसल छातियाँ बुर दे अंगुरी दूजी घूरी जाती
३
लड़ी आँख गुरिया मुझको तक आई चिढ़ चिल्लाए
‘काम न तुझसे रख छोड़ा क्यूँ अब यूँ घूरा आए’
चौरस गोरा मुखड़ा चपल आँख लंबी थी टांगें
झांट सुनहरी भूरी झीनी खड़ी चूत की फांकें
नाज़ुक नरम हथेली पतली अंगुलियां लहरातीं
तके हुआ मदहोश चिकनिया आई मुझे लुभाती
पतले लाल होठ दूधिया छाती नरम गुलाबी
कटि संकरी बुर कोमल मदभर झूमा लंड शराबी
बोला मैं “उफ़ गज़ब दमक तुझमें री रुक अब आता
दे बुर लंड बताऊँ तुझको कैसे चोदा जाता”
छक इक बुर से दूजी को तक लंड उठा भन्नाया
बही लपलपा लार फाडने बुर दूजी मैं धाया
आँखें प्यासी मुख कुम्हलाया देख उछलता पिघले
‘आ प्यारी आ कहे चिबुक धर अधर अधर पर फिसले
‘बेईमान हट’ आँख तरेरे उधर चीख सुर आया
खींच केस धर चिबुक अंक भर मैं समझाए आया
“रूठो हाय न गुरिया प्यारी खड़ा लंड यह देखो
बहल न पाए बुर अंगुरी से इसे प्यार से ले लो
लंड हस्त बुर अंगुरी चल झर झर बहले तो आएं
कह पर बिन बुर लंड लड़े कहं प्यास बुझी रह पाए
अब आई बारी गुरिया चल दिये लंड बुर ले लूँ
भूले कभी न बुर ऐसी चल फाड़ पटकता चोदूं
‘ना ना हट साले न झूम’ कह उधर बदन लहराया
झपट इधर चढ़ कटि घेरे कस बुर में लंड समाया
‘आह फटी बुर साले छोड़’ उछलती वह चिल्लाई
तू फीकी पर चूत गज़ब कह रह मैं किये चुदाई
सर छाती कटि पुट्ठे टांगें ठुकी डोल लहराई
‘उफ़ उफ़ आह आह रे गज़ब’ कहे बुर चुदती आई
बोली “गज़ब लंड में जादू उह उह ऊह कहा सच
रखे फाड़ बुर पटक चुदी उड़ मुई न रह पाए बच”
झटक केस सर छाती कटि पुट्ठे टांगें लहराती
ठुकती झटक केस कटि छाती मगन चुदी बुर जाती
सिसिया ‘अहहह आह’चाबती होठ ‘गदागद’ लेती
खड़ा लंड कस आई झेले उछल उछल बुर देती
ठुनक अन्गुरियाँ थी बुर पिघली कर तैयारी आई
चुदी गज़ब छल्ल छल फुरक बुर झर झर झरती आई
‘उइ हा उइ हा बस कर बस कर’ आह मरी मैं कहती
‘छोड़ छोड़ ना उइ मां’ चीखी झुकी लंड धर रहती
मैं कहता अब रोक न चिकनी गुरिया प्यास बुझा ले
दिये प्यार के ताने चुद अब सारी कसर निकाले
मिटी आह तुझपर कह कस बुर टांग लपेटे आई
रगड़ छातियाँ भिड़ी चूम वह झरझर लंड झराई
नयन मुंदे सुध खोई छितरे केस रहे सब बिखरे
चमकी नसें लंड घनघोर बरस आया बुर ठहरे
डूब मसल कस रौंदे दोनों थिरके थिर हो आए
हुआ लंड बिंदास मस्त चिकनी बुर प्यास बुझाए
बोली वह “कह दे रे अब तो हाय लगी मैं कैसी
चपक चूम बुर बोला फिर फिर लूँ भाई री ऐसी”
४
चढ़ा चरम था ज्वार कसे धर इक दूजे चिपटाये
गुंथे लंड बुर बिकट पटक उठ जब कस खींचे आये
रुकीं न आँखें रहीं लुभाईं तकतीं बिकट चुदाई
‘आह आह मैं भी आऊँ’ आँखें भिड़ती कह आईं
तक इक दूजे लड़ती आँखें लपट खींचती आईं
मूड भांप इक दूजे बात छिपी कहती मुसकाईं
बोला आँखों से आँखों में ठहर बताता साली
नमक गज़ब भाया तेरा है कसम न बुर जो फिर ली
दो के बीच चढ़ी तीजी वह मारे कसी झपट्टा
लुढक पटक उरझे तीनों गुंथ इक हो गुत्थम गुत्था
देखा सुना न कहीं समां अद्भुत था रमा रचाया
बेहिसाब रह चीथे खेले सरग उतर सच आया
‘आह आह क्या बात’ गुंथे मुख तीनों कहते आए
चूम झटक बुर लंड बदन गदगद लूटे सुख पाए
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(premonmayee saras rati sarita)
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एक सपुर से एक समुंद से रह थीं दोनों आईं
खुल खिल मिली भिड़ीं चुदने रहतीं दोनों अकुलाईं
छिप छिप मौन लड़ी आँखें रखतीं संदेशा भेजे
इधर ‘आह चाहूँ लूँ तुझको’ उधर ‘न क्यों आ लेते’
मर मर आते तीनों मैं चुप वे बैठीं मन मारी
लंड तरसता बुर रिसती कर चुदने की तैयारी
बहलाओ दिल लाख न इस उस विधि से बहला माने
धीरज छूटा राज़ खोल दिल आए चुदने ठाने
तू जा पहले तू जा पहले कह खुसपुस सकुचाई
तके सकुच मैं रहा सकुच आखिर इक पूछी आई
बैठीं दोनों पास पूछती आखिर इक मुस्कायी
कहो आज दोनों में तुमको कौन अधिक है भायी
मूड तुम्हारा भी हम दोनों का भी मचला आया
चुन बतलाओ लेने इक जिसपर पहले दिल आया
बोला भेद न कुछ रह आईं दोनों हरदम प्यारी
पर चुनाव पहले का मुझपर आया संकट भारी
तुम नमकीन चटपटी यह है चिकनी दूध मलाई
कहूँ सलोनी सच पहले री तबियत तुझपर आई
है यह मीठी पर फीकी तू है नमकीन बड़ी री
बुर तू कांटेदार सांवरी आ तुझको मैं लूँ री
यह है चिकनी दूध मलाई तू खारी बुर काली
झपट केश धर खीच कहा चल पर भाई तू साली
लोट लंड काँटों में छिल चल पहले मैं तुझको लूँ
रहा बहुत मन चखूँ तुझे चल फाड़ चूत लौड़ा दूँ
लड़ आँखें इक दूजी मचलीं राग भरी लहराईं
कह दी मन की बात खूब रे कह वह लपटी आई
तक मुखड़ा संगिनि का आँखों ही में रह मुसकायी
बोली उफ़ री करूँ आह क्या इसे पसंद मैं आयी
रुक बस निबटी अभी पास तेरे मैं लौटी आती
चली संग मेरे वह जली छोड़ चिकनी को जाती
मन सहमा दूजी को तक मुख जो आई मुरझाई
आँखें कह आईं बतलाए वह थी रूठी आई
२
वह बैठी तक राह हाथ खीचे दूजी ले भागी
बंद कपाट मचाए धूम आग अन्दर की जागी
रहा न ताब पड़े भिड उरझे पटके टूटे आए
तके राह जाने कब से थे दोनों रहे भुखाए
किये आह वह बिछी मुड़ी टांगें बुर खुलती आई
झुका प्यार में सर चूमे पट जीभ ठुनकती आई
डोली तलमल “ऊ हा आह न जान निकाले जाओ
पकड़ लंड कस खींचे बोली उफ़ न रहूँ अब आओ”
उबले तने अंग अंग जंग छिड़ी जाँघों पर आये
चूत लंड लड़ पड़े ठेलते कौन किसे धर पाये
भेद सुरंग घुसा कस लौड़ा फाड़ चूत को पेले
‘आह आह’ के बीच चरचरा रहा लंक तक ठेले
सच थी कांटेदार गज़ब बुर चुभी गुदगुदा जाती
‘लप्प लप्प’ चुद स्वाद चखे थी फंसा लंड कस आती
चरमर चर भक भक्क भकाभक चट चटाक टकराए
मची धमाल लड़े बुर लंड चौकड़ी भर कुदराए
खड़ा लंड ले शोर गज़ब बुर ‘पुक पुक पुक्क’ मचाती
चुदी मगन सुर ऊंचा चीखे उन्माद सांवरि जाती
कहती “जोड़ गज़ब उफ़ उफ़ उठ खड़ा लंड रख मारे
छोड़ न लूटे जा बुर फाड़े आज उड़ा रख झारे”
लंड हुआ दीवाना सुध बुर चुद रह आई भूली
छिड़ी जंग घनघोर गुंथा यह वह झकझोरे झूली
लड़ लड़ बीर झरा यह वह रज सनी लोटती आई
आर न पार ‘भकाभक घप्प घपाघप’ मची चुदाई
पटके लंड चूमता बुर यह वह कस खींच डुबाती
यह उरझा चीथे कोना हर कस लपेट वह आती
इधर हांफते सुर “मिट जाऊँ आह गज़ब क्या बुर री”
“ऊह मगन बुर चुदी दिये जा लंड गज़ब” वह कहती
सनता लंड इधर पटके बुर आँखें रह रह भटकीं
फिरतीं उधर जहाँ तक जलती दो आँखें थीं अटकीं
चीख चीख यह लंड उड़ाए हक अपना जतलाती
मसल छातियाँ बुर दे अंगुरी दूजी घूरी जाती
३
लड़ी आँख गुरिया मुझको तक आई चिढ़ चिल्लाए
‘काम न तुझसे रख छोड़ा क्यूँ अब यूँ घूरा आए’
चौरस गोरा मुखड़ा चपल आँख लंबी थी टांगें
झांट सुनहरी भूरी झीनी खड़ी चूत की फांकें
नाज़ुक नरम हथेली पतली अंगुलियां लहरातीं
तके हुआ मदहोश चिकनिया आई मुझे लुभाती
पतले लाल होठ दूधिया छाती नरम गुलाबी
कटि संकरी बुर कोमल मदभर झूमा लंड शराबी
बोला मैं “उफ़ गज़ब दमक तुझमें री रुक अब आता
दे बुर लंड बताऊँ तुझको कैसे चोदा जाता”
छक इक बुर से दूजी को तक लंड उठा भन्नाया
बही लपलपा लार फाडने बुर दूजी मैं धाया
आँखें प्यासी मुख कुम्हलाया देख उछलता पिघले
‘आ प्यारी आ कहे चिबुक धर अधर अधर पर फिसले
‘बेईमान हट’ आँख तरेरे उधर चीख सुर आया
खींच केस धर चिबुक अंक भर मैं समझाए आया
“रूठो हाय न गुरिया प्यारी खड़ा लंड यह देखो
बहल न पाए बुर अंगुरी से इसे प्यार से ले लो
लंड हस्त बुर अंगुरी चल झर झर बहले तो आएं
कह पर बिन बुर लंड लड़े कहं प्यास बुझी रह पाए
अब आई बारी गुरिया चल दिये लंड बुर ले लूँ
भूले कभी न बुर ऐसी चल फाड़ पटकता चोदूं
‘ना ना हट साले न झूम’ कह उधर बदन लहराया
झपट इधर चढ़ कटि घेरे कस बुर में लंड समाया
‘आह फटी बुर साले छोड़’ उछलती वह चिल्लाई
तू फीकी पर चूत गज़ब कह रह मैं किये चुदाई
सर छाती कटि पुट्ठे टांगें ठुकी डोल लहराई
‘उफ़ उफ़ आह आह रे गज़ब’ कहे बुर चुदती आई
बोली “गज़ब लंड में जादू उह उह ऊह कहा सच
रखे फाड़ बुर पटक चुदी उड़ मुई न रह पाए बच”
झटक केस सर छाती कटि पुट्ठे टांगें लहराती
ठुकती झटक केस कटि छाती मगन चुदी बुर जाती
सिसिया ‘अहहह आह’चाबती होठ ‘गदागद’ लेती
खड़ा लंड कस आई झेले उछल उछल बुर देती
ठुनक अन्गुरियाँ थी बुर पिघली कर तैयारी आई
चुदी गज़ब छल्ल छल फुरक बुर झर झर झरती आई
‘उइ हा उइ हा बस कर बस कर’ आह मरी मैं कहती
‘छोड़ छोड़ ना उइ मां’ चीखी झुकी लंड धर रहती
मैं कहता अब रोक न चिकनी गुरिया प्यास बुझा ले
दिये प्यार के ताने चुद अब सारी कसर निकाले
मिटी आह तुझपर कह कस बुर टांग लपेटे आई
रगड़ छातियाँ भिड़ी चूम वह झरझर लंड झराई
नयन मुंदे सुध खोई छितरे केस रहे सब बिखरे
चमकी नसें लंड घनघोर बरस आया बुर ठहरे
डूब मसल कस रौंदे दोनों थिरके थिर हो आए
हुआ लंड बिंदास मस्त चिकनी बुर प्यास बुझाए
बोली वह “कह दे रे अब तो हाय लगी मैं कैसी
चपक चूम बुर बोला फिर फिर लूँ भाई री ऐसी”
४
चढ़ा चरम था ज्वार कसे धर इक दूजे चिपटाये
गुंथे लंड बुर बिकट पटक उठ जब कस खींचे आये
रुकीं न आँखें रहीं लुभाईं तकतीं बिकट चुदाई
‘आह आह मैं भी आऊँ’ आँखें भिड़ती कह आईं
तक इक दूजे लड़ती आँखें लपट खींचती आईं
मूड भांप इक दूजे बात छिपी कहती मुसकाईं
बोला आँखों से आँखों में ठहर बताता साली
नमक गज़ब भाया तेरा है कसम न बुर जो फिर ली
दो के बीच चढ़ी तीजी वह मारे कसी झपट्टा
लुढक पटक उरझे तीनों गुंथ इक हो गुत्थम गुत्था
देखा सुना न कहीं समां अद्भुत था रमा रचाया
बेहिसाब रह चीथे खेले सरग उतर सच आया
‘आह आह क्या बात’ गुंथे मुख तीनों कहते आए
चूम झटक बुर लंड बदन गदगद लूटे सुख पाए
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