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sada muee chapalayen sang sab khinch dhari hathiyatin
(poems-premonmayee saras rati sarita)
सदा मुई चपलाएं संग सब खींच धरी हथियातीं
धरे मुझे भी कोई इकली यह झूरी जल जाती
सिमटी सिकुड़ी बुर न खिली पर हो अधीर अकुलाती
मरती तक तक लंड चुदूं कब हा रट रट सिसियाती
तिनफुटिया दो तोले की पाई सूखी कद काठी
उठती बूबें निम्बुआ थीं पर चोंच निकाली आतीं
उस इक दिन वह रही अकेली संग न दूजी आई
कब्जाए उसने मुझको चहकी आई बतियाई
रस घोली बातें मीठी नयनों में भरती जादू
खींचे रखी रिझाए दिल पर कर आई वह काबू
जिसपर गया न ध्यान कभी तक मैंने उसे निहारा
सूखा बदन कड़क मुख पतला लगा गज़ब का प्यारा
रहा निहारे तन अंग अंग भर जो मुट्ठी में आए
चूत गज़ब उफ़ होगी क्या तक लंड खड़ा तन्नाए
बोली वह उफ़ तकते क्या तुमपर मरती मैं आई
मिले आज मुश्किल से लो न आह तरसी मैं आई
उठा लप्प धर चढ़ा गोद बोला आ सांवरि प्यारी
कड़क चूत तू कड़क लंड मैं कस चुद पा सुख भारी
भेद चूत पट घप्प लंड मुख फँसा मुहाने आया
साली मर जाएगी तू रह अटक मगन कह आया
उइ उइ मरी मरी कह आई टांग रही फटकारी
चीखी लंड फँसा बुर अटकी पर न रही वह हारी
बोली कड़क गज़ब रे लंड आज दिल भर आएगा
ले हौले पर चूत कसी ऐसी न कहीं पाएगा
कस ठोके खम्भे सा रह रह सटका लंड समाया
फाड़े हौले चूत गज़ब वह कस तल बाँधे आया
आह आह क्या गज़ब होश खो मुंड पलकें वह आई
ले अब लेती जा री सूखी कह रह चली चुदाई
कसी लंड चमड़ी धर खींची लप्प लपालप आती
चलता ठोके लंड पसर बुर उथली फैली जाती
हा उफ़ हा उफ़ हा उफ़ हा उफ़ मुंह फाड़ी वह आती
लिये घपाघप लंड मगन चुद चुद हांफी वह जाती
छुटा होश चढ़ चढ़ पटके बढ़ जोश लंड रह टूटा
गदगद नन्ही बुर फट बिखरी झर झर झरना फूटा
उधर मची उइ हा हा इधर आह री गज़ब लिये जा
इधर गदागद गद्द उधर उफ़ छोड़ न लंड दिये जा
अररर उइ उइ आह आह उफ़ गज़ब गज़ब धुन छाई
मची न जैसी कभी मन हरी वैसी रमी चुदाई
संकरी नन्ही बुर पटकी खुद फटी फैल छितराई
फुरक फुरकता लंड उड़ा चोदे बुर झर उफनाई
चीखी उछल मुई बुर चुकी चुदी उफनी उफ़ उफ़ रे
बस कर बस कर निकल न आह रहा डूबा बस कस रे
पड़े लंड बुर आँख बंद कर लपटे किये मिताई
सने सानते कस रगड़े इक दूजे किये चुदाई
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सदा मुई चपलाएं संग सब खींच धरी हथियातीं
धरे मुझे भी कोई इकली यह झूरी जल जाती
सिमटी सिकुड़ी बुर न खिली पर हो अधीर अकुलाती
मरती तक तक लंड चुदूं कब हा रट रट सिसियाती
तिनफुटिया दो तोले की पाई सूखी कद काठी
उठती बूबें निम्बुआ थीं पर चोंच निकाली आतीं
उस इक दिन वह रही अकेली संग न दूजी आई
कब्जाए उसने मुझको चहकी आई बतियाई
रस घोली बातें मीठी नयनों में भरती जादू
खींचे रखी रिझाए दिल पर कर आई वह काबू
जिसपर गया न ध्यान कभी तक मैंने उसे निहारा
सूखा बदन कड़क मुख पतला लगा गज़ब का प्यारा
रहा निहारे तन अंग अंग भर जो मुट्ठी में आए
चूत गज़ब उफ़ होगी क्या तक लंड खड़ा तन्नाए
बोली वह उफ़ तकते क्या तुमपर मरती मैं आई
मिले आज मुश्किल से लो न आह तरसी मैं आई
उठा लप्प धर चढ़ा गोद बोला आ सांवरि प्यारी
कड़क चूत तू कड़क लंड मैं कस चुद पा सुख भारी
भेद चूत पट घप्प लंड मुख फँसा मुहाने आया
साली मर जाएगी तू रह अटक मगन कह आया
उइ उइ मरी मरी कह आई टांग रही फटकारी
चीखी लंड फँसा बुर अटकी पर न रही वह हारी
बोली कड़क गज़ब रे लंड आज दिल भर आएगा
ले हौले पर चूत कसी ऐसी न कहीं पाएगा
कस ठोके खम्भे सा रह रह सटका लंड समाया
फाड़े हौले चूत गज़ब वह कस तल बाँधे आया
आह आह क्या गज़ब होश खो मुंड पलकें वह आई
ले अब लेती जा री सूखी कह रह चली चुदाई
कसी लंड चमड़ी धर खींची लप्प लपालप आती
चलता ठोके लंड पसर बुर उथली फैली जाती
हा उफ़ हा उफ़ हा उफ़ हा उफ़ मुंह फाड़ी वह आती
लिये घपाघप लंड मगन चुद चुद हांफी वह जाती
छुटा होश चढ़ चढ़ पटके बढ़ जोश लंड रह टूटा
गदगद नन्ही बुर फट बिखरी झर झर झरना फूटा
उधर मची उइ हा हा इधर आह री गज़ब लिये जा
इधर गदागद गद्द उधर उफ़ छोड़ न लंड दिये जा
अररर उइ उइ आह आह उफ़ गज़ब गज़ब धुन छाई
मची न जैसी कभी मन हरी वैसी रमी चुदाई
संकरी नन्ही बुर पटकी खुद फटी फैल छितराई
फुरक फुरकता लंड उड़ा चोदे बुर झर उफनाई
चीखी उछल मुई बुर चुकी चुदी उफनी उफ़ उफ़ रे
बस कर बस कर निकल न आह रहा डूबा बस कस रे
पड़े लंड बुर आँख बंद कर लपटे किये मिताई
सने सानते कस रगड़े इक दूजे किये चुदाई
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