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Zaroorat

ना दिखाने की ज़रूरत थी
ना बताने की ज़रूरत थी
ज़रूरत थी किसी चीज़ की नहीं
बस एक बार मनाने की ज़रूरत थी

ना समझाने की ज़रूरत थी
ना जताने की ज़रूरत थी
ज़रूरत थी किसी चीज़ की नहीं
बस एक बार बहलाने की ज़रुरत थी

ना खिलोनो की ज़रूरत थी
ना कोई वेद पुराणों की ज़रुरत थी
ज़रूरत थी किसी चीज़ की नहीं
बस एक बार साथ में रोने की ज़रूरत थी

-अहसास
Written by Ahsas
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