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Adhoora Sapna...

Adhoora Sapna

पहले मेरे जीवन का एक सरल सपना था
जिसमें रोटी, कपडा, और मकान अपना था
 
उस जीवन में, माँ बाप का सहारा था मैं 
उनके सारे अरमानो का इशारा था मैं
 
फिर एक दिन कुछ अजीब सा हुआ 
जैसे कोई मेरे करीब सा हुआ
 
उस दिन से एक नयी शुरुआत हुई 
बीती  बातें सब पुरानी बात हुई
 
न माँ का सोचा फिर न बाप का 
उस अजनबी को बोलै सब कुछ है बस आपका
 
रोते थे माँ बाप, लेकिन कभी परेशान नहीं करा 
टूट गए सारे अपमान लेकिन कभी अपमान नहीं करा
 
एक दिन वो अजनबी सच का अजनबी बन गया 
ऐसा लगा मानो मैं खुद मतलबी बन गया
 
फिर समझ में आया ज़िन्दगी का असली मतलब 
की बस माँ बाप ही है सगे, बाकी मतलब के है सब
 
वादा किया है खुदसे उनके सारे अरमान पूरे करने है 
जितने भी सपने उन्होंने देखे थे वो सारे पूरे करने है
 
फिर से वही सरल जीवन होगा मेरा 
जिसमें रोटी, कपडा, और मकान होगा मेरा... 

-अहसास 
Written by Ahsas
Published
Author's Note
"Adhoora Sapna" is one of my early creations, a poignant exploration of the profound impact an external presence can have on a person's life, leading them to forsake everything they held dear.
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
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