deepundergroundpoetry.com

Image for the poem झूठ की अहमियत

झूठ की अहमियत

झूठ की अहमियत

सत्य तो शिव सा सुंदर है
पर झूठ कीअहमियत भी कोई कम नहीं
वह भी शिव सा ही अथाह है
अकल्पनीय है, विशाल है
सत्य तो बस उतना ही, जितना सच है
सच अगर जरा सा घट जाए, या बढ़ जाए
तो सच, सच नहीं रहता
झूठ की तो कोई सीमा ही नहीं
वह दृष्टि सीमा से भी परे है
सत्य तो भंगूर हैं, भूरभूरा है
झूठ तो तरल है, अनंत है

नेताओं के आंसू
उम्मीदवारों के वादे
मतदाताओं की कसमें
कविता की तारीफ
शायरी पर वाह वा
अगर झूठ का अस्तित्व, संसार में ना होता
ना कवि उभरते, ना कविताएं बनती
ना गायक होते, ना गायकी उभरती
चित्रकार ना‌ होते, ना‌ चित्रकारिता होती
सुंदरता का एहसास ना होता
वादे ना होते, इरादे ना होते
आसमां से चांद-तारे तोड़ लाने की,
बातें ना होती
जहां, गुमसुम सा रहता
ना विचार आता, ना विकास होता
ना इंतजार होता, ना इकरार होता

उम्मीद की बुनियाद, झूठ पर ही तो है!
झूठ है, तभी तो सत्य का वजुद है
जैसे रात अंधेरी है,
तभी प्रकाश की चाहत है
सबकुछ अगर सिर्फ सत्य ही होता
संसार पूरा नीरस ही रहता
अनुसंधान ना होता
महाभारत ना होता
ना नेता, ना‌ अभिनेता होता
ना जीवन में कोई इच्छा पनपती
कभी किसी की ना तारीफ होती
ना प्रेम होता, ना प्रेरणा होती
ना प्रमोशन होते, ना तरक्की होती
घर में ना बीवी सजती संवरती
पति सच कह दे, उसे रोटी ना मिलती

सच बोलें वो नेता, ना संसद पहुंचते
जो वादे किए, सभी पूरे किए जाते
विपक्ष घर में सिर्फ करवटें बदलता
देश‌ की गरीबी कब की हट जाती
किसान को सही किमत मिल जाती
हर वर्ग को कब का आरक्षण मिल जाता
ना आंदोलन होते, ना जूलुस निकलता
ना टीआरपी के लिए चैनल खिंचातानी करते
सिर्फ सच के बल पर,  न्यूज़ चैनल ना चलते
ना बाबा, ना स्वामी, ना भगवान होते
अधर्मी की कभी पहचान ना होती
झूठ की अहमियत,
तो जानता है अदालत
तभी है यह कहावत
"चाहे सौ गुनहगार छूट जाए"
"पर एक बेकसूर सूली न चढ़ जाए"
अगर झूठ ना होता
ना वकील होते, ना वकालत पनपती
मक्कार, घूसखोर, खूनी, बलात्कारी
कभी सड़कों पर खुलेंआम ना घूमते
कानून की आंखों पर, पट्टी ना होती

अगर,
सबकुछ सिर्फ सच ही होता
ना जीने की चाहत, ना मरने का ग़म होता
संसार पूरा नीरस, उजड़ा सा लगता
झूठ है तो हास्य है, झूठ है तो व्यंग है
झूठ है तभी कल्पना हैं, प्रोत्साहना है,
प्रशंसा है, जीवन है।

**
वसंत आरबी
कर्नल डॉ वसंत बल्लेवार
7391917132

Share the smile, spread the message.
Written by VASANTRB (VASANT BALLEWAR - TEER)
Published
Author's Note
प्रेरणा: यह एक हास्य-व्यंग्य कविता है। सच के विषय बहुत कुछ लिखा हुआ है और झूठ को हमेशा कटघरे में होता है। इस कविता के माध्यम से सच और झूठ की व
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
likes 0 reading list entries 0
comments 0 reads 412
Commenting Preference: 
The author encourages honest critique.

Latest Forum Discussions
SPEAKEASY
Today 2:34pm by Ahavati
SPEAKEASY
Today 2:11pm by Rew
POETRY
Today 2:05pm by Grace
SPEAKEASY
Today 1:14pm by nightbirdblue