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एक बार  जरूर आना

जब भी लगे तुमपर, आसमान गिर पड़ा हो
जब भी लगे जीवन में, कुछ भी न अब रहा हों
बस एक बार,
क्यूएमटीआय (QMTI) जरूर आना
मेरे जवानों से जरूर मिलना
कई मिलेंगे ऐसे बहादुर
मौत को भी शिकस्त देकर
लौट आए अपने दमपर
ताज्जुब है उनकी हिम्मत पर
कायल है उनकी मुस्कान पर
कर लो यकीन आंखों पर
की मुस्कराने के लिए, गालों की जरूरत नहीं
ये तो, आंखों से भी बयां हो जाती है

जब भी लगे, जीवन की दौड में
सबकुछ खो चुके, जीने की राह मे
जब लगे जीने की कोई वज़ह ना रही
खुद को मिटाने से पहले
बस एक बार,
क्यूएमटीआय आना जरूर
ताज्जुब होगा ये देखकर, की
दौड़ने के लिए तो
पैरों की जरूरत ही नहीं

मिशन ने हाथ छिने, आंखों से रोशनी भी
पर जज्बां तो देखो इनका, जनाब चलाते हैं स्कुटी
देखकर यह नज़ारा, गुम होगी सब की सिटी
ताज्जुब होगा ये देखकर, की
गाड़ी चलाने के लिए तो,
हाथों की जरूरत ही नही
जब भी दिल‌ ये बोले, तूम से खुदा खफा हैं
जज्बा तो देखो इनका, खुदा पिछे खड़ा है


यहां रंनबाकुरे है सारे, सर्वस्व जिसने खोये
ऐसे कई है सुरमा, खुद यमराज लेने आए
देखी जो इनकी हिम्मत, वापिस कभी ना आए
कैसी भी हो मुसीबत, हल उसका जरूर होगा
जरा दिल को टटोल देखो, हल वहीं कहीं मिलेगा
जब भी ये मन हो भारी, जीवन लगे बिमारी
दिल टूटने से पहले, एकबार जरूर आना
इनके संग समय बिताना,
इनको गले लगाना,
कैसे गमों को अपने, खुशीयों में बदल लेना,
हंसना इन्हीं से सिखने, एकबार जरूर आना
क्यूएमटीआय (QMTI) जरूर आना,
Written by VASANTRB (VASANT BALLEWAR - TEER)
Published
Author's Note
This poem is inspired from the life of disabled soldiers and their spirit of living at Queen Mary's Technical Institute (QMTI) for Rehabilitation and Training of Disabled Soldiers Pune. It's an appeal to those who get into depression due to failure in life and tend to commit suicide. No agony, no failure is comparable to the loss of appendages or becoming paraplegic or quadriplegic not for neglect but in the line of duty for the society and motherland.
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
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