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कडवा निम

निंबोली: कडवा नीम

वो निम तो कड़वा ही था
फिर उससे जुड़ी यादें  मिठी कैसी
नुक् निम तो कड़वा ही था
फिर उससे जुड़ी यादें मिठी कैसी
नुक्कड़ पर खड़ा वह निम का पेड़
बचपन से देखा, बस उतना ही, वैसा ही
हम रिटायर भी हूयेकड़ पर खड़ा वह निम का पेड़
बचपन से देखा, बस उतना ही, वैसा ही
हम रिटायर भी हूये, पर वो
वैसा ही तटस्थ, वैसा ही अटल
दादा बताते, वो बचपन में
खेलते थे, निम के कंधों पर  
बाबा कहते, इस निम ने भी की थी शिरकत
आजादी की लड़ाईयों में
कितनी ही सभाये हुयी होगी
निम की शितल छाया मे
वो अब भी वही है
वैसा ही तटस्थ, वैसा ही अटल
मानो गवाह है बदलते दौर का
 
हमारा बचपन हमसे ज्यादा
शायद उसे ही अधिक याद होगा
बंदरकुदी, चोर पुलिस, झुलम झूलाई,  
कंच्या, बालसभा, लड़ाई
हर समय निम साथ होता
गणेश विसर्जन की झांकीया
सभी अठ्ठाईस दोस्तों को
निम अपने कंधों से दिखाता
कितनी बार टिचर कि कटाक्ष निगाहों से
वो निम ही हमे बचाता
 
पिछले गर्मी अचानक
गांव जाना हूआ
निम के पास से गुजरा
अचानक पैर थम से गये
ऐसा लगा मानो उसने आवाज दी
मैंने निम को देखा
बचपन का सारा दौर फ्लॅशबॅक हुआ
उसे छूने का मन में खयाल आया
मानो बुजुर्ग का आशिश लेने,
निम के पास पहुंचा, छुआ,  
ऊपर से मेरे हाथों में निंबोली गिरी
निम के प्यार की भेंट, मैंने चखकर देखी,
निंबोली की मिठास सीधे दिल छु गई
आश्चर्य हुआ,  
कड़वे निमके प्यार का असर  
निंबोली भी मिठी हुई
 
निम तो सबपर ही प्यार करता
पक्षी, प्राणी, बड़ा, छोटा
निम तो सबका हीं चाहता
प्रकॄती ने उसे कड़वा बनाया
पर निंबोली वो मिठी देता
एक सवाल लिए मैं वापिस लौटा
इन्सान तो है राजा सृष्टि का
फिर इस कि मिठास में कमी क्यों आई
जात पात, धर्म वर्ण,  उच निच, भृण भेद
इसमें कड़वाहट कहा से आई
दूसरो को है मिठास ही देना
निम से हम को सिखना होगा
आपस की बढती कटुता को
प्यार में तब्दील करना होगा
Written by VASANTRB (VASANT BALLEWAR - TEER)
Published
Author's Note
This poem is in Hindi language. It is inspired from the neem tree of my childhood, under which we use to play, gossip, climb and spend time with friends. Neem is know for its bitterness but it's fruits called 'Nimboli' are sweet in taste. The author imagined that the neem started giving sweet fruits because of its love for children and people. Then why there is so much hatred and bitterness amongst people themselves due to race, caste, religion, sex, money etc that man has become bitter from inside. He should learn from the Neem Tree that even if you have bitterness inside, he should learn from the Neem Tree to be good in his behaviour and spread love to others because man has wisdom.
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
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