deepundergroundpoetry.com
यौवन
भोली है सूरत, नाजुक-सी तू गुड़िया
नैनो के कटोरो मे, प्यार का दरिया
काजल की डोर, बांधे मन हर-और
भीनी मुस्कनिया, मन- मोहिनी छविया
गुपचुप बतलाती, लगती शर्माती कोयलिया
तेरे तन की खुशबू,
जैसे महकी कही बगिया
माथे की बिंदिया, खनकती पायलिया
फूल के साथ, जैसे इतराती कलियाँ
ऐसा सुंदर सुरूप यौवन तुम्हारा
मेरे नैनो का तारा, मन व्याकुल हमारा
तू आती ही रहना, अंग लगाती ही रहना
मेघ से लिपटी जैसे इठलाती बिजुरिया
नैनो के कटोरो मे, प्यार का दरिया
काजल की डोर, बांधे मन हर-और
भीनी मुस्कनिया, मन- मोहिनी छविया
गुपचुप बतलाती, लगती शर्माती कोयलिया
तेरे तन की खुशबू,
जैसे महकी कही बगिया
माथे की बिंदिया, खनकती पायलिया
फूल के साथ, जैसे इतराती कलियाँ
ऐसा सुंदर सुरूप यौवन तुम्हारा
मेरे नैनो का तारा, मन व्याकुल हमारा
तू आती ही रहना, अंग लगाती ही रहना
मेघ से लिपटी जैसे इठलाती बिजुरिया
All writing remains the property of the author. Don't use it for any purpose without their permission.
likes 0
reading list entries 0
comments 2
reads 773
Commenting Preference:
The author encourages honest critique.